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फिस्टुला (भगन्दर) को जड़ से ठीक करें
Heal fistula from the root
फिस्टुला (Fistula) यानी भगंदर, एक जटिल और पीड़ादायक रोग है जिसमें गुदा (Anus) के पास एक असामान्य मार्ग बन जाता है जो शरीर के अंदर या बाहर की त्वचा से जुड़ जाता है। यह बार-बार पस (पीप) और सूजन उत्पन्न करता है। आयुर्वेद में इसे "भगंदर रोग" कहा जाता है।
🔍 फिस्टुला के लक्षण (Symptoms)
🔴 गुदा के पास फोड़ा या छेद
💧 बार-बार पीप या बदबूदार स्राव निकलना
😖 बैठने या चलने में दर्द
🌡️ गुदा क्षेत्र में सूजन, जलन और खुजली
🩸 मल त्याग के समय खून या पीप आना
😓 बुखार या कमजोरी – संक्रमण बढ़ने पर
🎯 फिस्टुला के कारण (Causes)
🔄 बार-बार होने वाला पाइल्स या फोड़ा
❌ कब्ज और ज़ोर लगाना
🦠 गुदा क्षेत्र का संक्रमण
🧫 बेक्टेरियल, टी.बी. या क्रोन्स डिज़ीज़
⚒️ गुदा की चोट या सर्जरी
🤒 इम्यून सिस्टम की कमजोरी
🛡️ बचाव के उपाय (Prevention Tips)
✅ कब्ज न होने दें – फाइबर व तरल आहार लें
❌ तीखा, तला-भुना व शराब से परहेज़ करें
🚽 नियमित मल त्याग और शौच स्वच्छता बनाए रखें
🧘 तनाव मुक्त रहें और हल्का व्यायाम करें
🧼 गुदा क्षेत्र की सफाई – गुनगुने पानी से करें
आयुर्वेदिक जैंस काऊ यूरिन थेरेपी से इलाज
Jain’s Cow Urine Therapy भगंदर जैसे जटिल रोगों में गहराई से कार्य करती है – यह शरीर को अंदर से शुद्ध करके संक्रमण, सूजन, और फोड़े की प्रवृत्ति को नियंत्रित करती है।
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
संक्रमण को खत्म करता है
सूजन और पीप की प्रवृत्ति कम करता है
पाइल्स के साथ होने वाले फिस्टुला में लाभकारी
शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करना
रोग की मूल वजह (दूषित रक्त और संक्रमण) को हटाना
सूजन और जलन में आराम
आयुर्वेदिक औषधियों के साथ संयोजन
गौमूत्र को त्रिफला, हीराबोल, नागकेसर, बकयन, कुरचि, दरुहल्दी, रीठा, बेलगिरी, नीम, लाजवंती, कुटकी, चित्रक, सौंठ, करंज, शुद्ध फिटकरी, शुद्ध सुहागा,कचनार गुग्गुल ,सहजना , चित्रक, सारिवा ,गिलोय , भूमीआंवला ,मेहंदी ,पाषाणभेद ,अतीबला,अश्वगंधा,पुनर्नवा,मुलैठी,हल्दी,तुलसी, पीपल छाल ,मंजिष्ठा ,मकोय,गुलर छाल,वट (बड़ का वृक्ष) ,लोध्र ,सहदेवी ,नागकेसर ,शतावरी,वासा (अडूसा) ,कंकोल (तैलफल) ,त्रिकटु ,शिलाजीत ,वन ककड़ी ,सदा पुष्पी ,रोहितक, कालमेघ , जैसी औषधियों के साथ रिसर्च अनुसार निश्चित मात्रा में मिलाकर प्रयोग किया जाता है, जिससे इसकी प्रभावशीलता अत्यधिक बढ़ जाती है।
आवश्यक मेडिसिन के कांबीनेशन के साथ पथ्य-अपथ्य, योगासन आदि निम्नानुसार उपयोग कर फिस्टुला से मुक्ति की ओर अग्रसर।
1. Take Ayurvedic Pilocin Syrup 6-6 Teaspoon full daily Twice a day.
2. Take Ayurvedic Ansocur Capsule 1-1 daily twice a day.
3. Take Ayurvedic Toner half-half teaspoon (2.5 ml) with one glass of lukewarm cows milk in morning & Evening daily.
4. Apply daily in the night at sleeping time Ayurvedic Ointment Pilorid on Fistula wound.
⚠️ विशेष ध्यान दें:
फिस्टुला को हल्के में न लें – अगर समय रहते ठीक न किया जाए तो संक्रमण फैल सकता है
आयुर्वेद में इसे जड़ से ठीक करने की संभावना होती है — विशेषकर जैंस काऊ यूरिन थेरेपी के माध्यम से
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