
GASTROINTESTINAL DISORDERS SUPPORT KIT
पाचन तंत्र विकार सपोर्ट किट
संक्षिप्त परिचय
Gastrointestinal (GI) disorders वे सभी समस्याएँ हैं जो मुँह, अन्नप्रणाली, पेट, आंतों, लिवर, गॉल ब्लैडर और पैंक्रियास को प्रभावित करती हैं। इनमें अपच, गैस, एसिडिटी जैसी सामान्य समस्याओं से लेकर IBS, IBD, अल्सर और लिवर रोग तक शामिल हैं।
प्रकार (Types)
Functional Disorders – IBS (Irritable Bowel Syndrome), functional dyspepsia
Inflammatory Disorders – Crohn’s disease, Ulcerative colitis
Acid-related Disorders – GERD, gastritis, peptic ulcer
Motility Disorders – constipation, diarrhea, gastroparesis
Liver & Gallbladder Disorders – fatty liver, gallstones
Malabsorption Disorders – celiac disease, lactose intolerance
लक्षण (Symptoms)
गैस, भारीपन, अपच
पेट में दर्द या जलन
बार–बार डकार
दस्त या कब्ज
मतली, उल्टी
पेट फूलना
भूख कम होना
वजन घटना
मल में खून (गंभीर स्थिति का संकेत)
कारण (Causes)
अनियमित खान–पान, देर रात भोजन
मसालेदार, तला हुआ और भारी भोजन
तनाव और मानसिक दबाव
संक्रमण (H. pylori)
शराब, धूम्रपान
दवाएँ (NSAIDs)
फाइबर की कमी
अधिक एसिडिटी या गैस उत्पादन
कमजोर पाचन अग्नि (Ayurvedic दृष्टि से मंदाग्नि)
बचाव (Prevention)
नियमित भोजन, कम मात्रा में, लेकिन अधिक बार
भारी, तला-भुना, ओवरईटिंग से बचाव
तनाव नियंत्रण—योग, ध्यान, प्राणायाम
पर्याप्त पानी और फाइबर
प्रोबायोटिक फूड्स का सेवन (दही, छाछ)
शराब, धूम्रपान से दूरी
खाना हमेशा सही समय पर और सही मात्रा में
डाइट चार्ट (Diet Guidelines)
सुबह: गुनगुना पानी + नींबू या अजवाइन/जीरा पानी
नाश्ता: दलिया, ओट्स, मंद फाइबर वाले फल (पपीता, केला, सेब)
दोपहर: सब्जियाँ, दाल, मुलायम रोटी, भूना जीरा–छाछ
शाम: नारियल पानी, हर्बल टी
रात: खिचड़ी, सूप, उबली सब्जियाँ, दाल का पानी
सोने से पहले: हल्दी दूध / ट्रिफला पानी (कब्ज हो तो)
मूल सिद्धांत:
हल्का, आसानी से पचने वाला भोजन
कम तेल, कम मसाला
प्रोबायोटिक + फाइबर + पर्याप्त हाइड्रेशन
अपथ्य (Foods to Avoid)
तला, मसालेदार, तीखा खाना
बहुत गरम या बहुत ठंडा भोजन
बासी और पैकेज्ड फूड्स
चाय–कॉफी अत्यधिक मात्रा में
शराब, धूम्रपान
सोडा, कोल्ड ड्रिंक
अधिक नमकीन और खट्टी चीजें
देर रात भोजन
योगासन (Helpful Yoga Practices)
वज्रासन – भोजन के बाद 5–10 मिनट
पवनमुक्तासन – गैस और अपच में लाभ
भुजंगासन – पेट के अंगों पर सकारात्मक प्रभाव
अर्ध मत्स्येन्द्रासन – पाचन को सक्रिय करता है
अनुलोम–विलोम प्राणायाम – तनाव कम करता है
कपालभाति – पेट की अग्नि मजबूत (किसी भी अल्सर में सावधानी)
आयुर्वेदिक जैंस काऊ यूरिन थेरेपी
मुअग्नि (digestive fire) मजबूत करना, वात–पित्त–कफ संतुलन, आंतों की शुद्धि।
गैस, अपच
कब्ज में, आंतों की सफाई
एसिडिटी
पित्त शमन
IBS, गैस
क्रॉनिक डिसऑर्डर
सूजन कम करने में
strengthening and detox
मेटाबॉलिज़्म सुधार, सूजन कम, डिटॉक्स में सहायक
आयुर्वेदिक औषधियों के साथ संयोजन
गौमूत्र को सौंठ, आमला, नागरमोथा, भुई आमला, शतावरी, सौंफ, हरड़, विडंग, चित्रक ,यवनी अजवाइन, कुलंजन, जीरा, पुदीना, अजवायन, काला नमक, पुनर्नवा, कालमेघ, भृंगराज, तुलसी, बहेड़ा , मुलेठी , नागरमोथा,पीपली,रोहितका, कुटकी, विडंग, गिलोय, काकमाची,कालीमिर्च, मेहंदी, एलो जैसी औषधियों के साथ रिसर्च अनुसार निश्चित मात्रा में मिलाकर प्रयोग किया जाता है, जिससे इसकी प्रभावशीलता अत्यधिक बढ़ जाती है।
आवश्यक मेडिसिन के कांबीनेशन के साथ पथ्य-अपथ्य, योगासन आदि निम्नानुसार उपयोग कर एसिडिटी से मुक्ति की ओर अग्रसर।
1.Take Ayurvedic Aptifort and Heporyl Syrup 3-3 Teaspoonful daily Twice a day.
2. Take Ayurvedic Aptifort Capsule 1-1 daily twice a day.
3.Take Ayurvedic Toner half-half teaspoon (2.5 ml) with 70-100 ml (half cup) of lukewarm cow's milk in morning & Evening daily.
4.Take 1-1 teaspoon of Ayurvedic Fortex Pak twice a day.
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